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वृष्टि पड़े रुनक झुनक

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टीन की छत पे बारिश की बूंदे
गीत गा रही हैं
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
सजनी को परदेसी पिया की
याद आ रही है
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
साजन को सजनी की मोहक छवि
तड़पा रही है
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
माँ को गर्व है शहीद बेटे पर, पुरानी
स्मृतियां रुला रही हैं
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
बिटिया को ब्याह दिया, खुश है माँ
चित्र दिल से लगा रही है
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
तप करते करते तप गया भक्त
मिलन की आस तरसा रही है
वृष्टि पड़े रुनक झुनक
अधूरी है कविता, नही होती पूरी
प्रसव पीड़ा अटका रही है
वृष्टि पड़े रुनक झुनक

मीरा श्री

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