Home Literature पिता क्या है?

पिता क्या है?

0

पिता माँ का सिंदूर,माथे की बिंदिया है।
पिता चेहरे का नूर,नयन की निंदिया है।
पिता लोरी के संग में,बाहों का झूला है।
पिता चून है तो,घर का जलता चुल्हा है।
पिता परिश्रम के अर्थ का मीठा फल है।
पिता कठोर नारियल का सरस् जल है।
पिता से कर्तव्यनिष्ठा ओर परोपकार है।
पिता धेर्य,संयम और मधुर व्यवहार है।
पिता सवाल है,जवाब है और पहेली है।
पिता मुश्किल में जो थामे वो हथेली हैं।
पिता जूता है,पतलून है,हर जरूरत है।
पिता बिन शब्दों के बयां हो वो मूरत है।
पिता जिद्द है,शरारत और समझाईस है।
पिता जो ख़्वाब में देखी वो फरमाइश है।
पिता कलम है,किताब व अखबार है।
पिता स्नेह है आशीष है सलाहकार है।
पिता आँखे पढ़कर जान ले वो दर्द है।
पिता आंसू छुपा मुस्कुराले वो मर्द है।
पिता स्वर है,व्यंजन है,बारहखड़ी है।
पिता समय है सुई है चलती घड़ी है।
पिता पूजा,दुआ,प्रेयर व अरदास है।
पिता है तो मेरा सारा जहां मेरे पास है।

  • रानी सोनी”परी

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version