Home Poetry प्रभु सम प्रेमी न दुजा

प्रभु सम प्रेमी न दुजा

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प्रेम की शक्ति ने सुदर्शन धारी योगेश्वर श्री कृष्ण को मुरलीधर बनाया

प्रेम के बल माँ यसोदा ने ऊखल से बांध दिया, गोपियों ने नटखट लाला को नचाया

प्रेम ऊँच-नीच ,भेद-भावों से परे
मधुमंगल, सुदामा से मित्रता कर कान्हा ने प्रेम की पराकाष्णा का दर्शन कराया

प्रेम निर्मल-निश्छल शशि सा,
शरद पूर्णमा की रात गोपी रूपी असंख्य ऋषियों संग मोहन ने अद्भुत रास रचाया ,

रास मात्र नृत्य नहीं, ये तो उन ऋषि-मुनियों की करोड़ो वर्षों की
प्रेम-साधना थी जिसने रात्री अमृत बरसाया

बृज की लली संग प्रेम ने , सोलह कलाओं के स्वामी को छलिया बनाया

जब-जब प्रभु संग प्रीत की किसी ने तो बांके बिहारी ने प्रेम की तुला में स्वयं को भी झुकाया है

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई *राधे कृष्ण*


|| पूजा मिश्रा || रीवा म.प्र.

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