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नई सहर

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किस तरह जिन्दगी
अब गुजर किजिये
चारों तरफ है गुनाहों का
कहर सोचिये ।।

किस कदर नफरत हैं
सब पाले हुये
सबके दिलों में लगे
कितने जाले हुये
ऐसे में कहाॅं तक
बसर किजिये ।।किस ……

किस किस दर्द से
सहमे चेहरे हैं
इनके घाव अभी तक
जाने कितने गहरे हैं
ऐसे में कहाँ तक
सबर किजिये ।। किस …

क्यूँ आती नहीं कोई
रोशनी की किरण
क्यूँ मिटाता नहीं कोई
नफरतों की घुटन
सबके चेहरे से हटे
अब गमों की घटा
प्रभु ऐसी भी कोई
सहर किजिये ।। किस ……

रश्मि शुक्ल
रीवा (म.प्र)

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