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धनतेरस का महत्व

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धनतेरस का महत्व

– आचार्य अनुपम जौली 

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी धनतेरस कहलाती है। इस वर्ष धनतेरस 17 अक्टूबर 2017 मंगलवार को आएगी। इस दिन चाँदी का बर्तन खरीदना अत्यन्त शुभ माना गया है। वस्तुत: यह यमराज से संबंध रखने वाला व्रत है।

इस दिन सायंकाल घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर यमराज के निमित्त दक्षिणाभिमुख दीपदान करना चाहिए। उसका गन्धादि से पूजन करें। यमुना जी यमराज की बहन है, इसलिए इस दिन युमना स्नान का भी विशेष माहत्म्य है। दीपदान करते समय निम्नलिखित प्रार्थना करनी चाहिए :

मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह। त्र्योद्श्याम दीपदानात्सूर्यज: प्रीयतामिति॥

क्यों जलाते हैं धनतेरस को दीया? :

एक बार यमराज ने अपने दूतों से कहा कि तुम लोग मेरी आज्ञा से मृत्युलोक के प्राणियों के प्राण हरण करते हो, क्या तुम्हें ऐसा करते समय कभी दु:ख भी हुआ है या कभी दया भी आई है? इस पर दूतों ने कहा – महाराज! हम लोगों का कर्म अत्यन्त क्रूर है। किसी युवा प्राणी की असामयिक मृत्यु पर उसका प्राण हरण करते समय वहां का करुण क्रन्दन सुनकर हम लोगों का पाषाण हृदय भी विचलित हो जाता है।

एक बार हमें एक राजकुमार के प्राण उसके विवाह के चौथे दिन ही हरण करने पड़े। उस समय वहां का करुण क्रुन्दन, चीत्कार और हाहाकार देख-सुनकर हमें अपने कृत्य से अत्यन्त घृणा हो गई। उस मंगलमय उत्सव के बीच हमारा यह कृत्य अत्यन्त घृणित था। इससे हमारा हृदय अत्यंत दु:खी हो गया। अत: हे स्वामी! कृपा करके कोई ऐसी युक्ति बताइये जिससे ऐसी असामयिक मृत्यु न हो।

इस पर यमराज ने कहा कि जो व्यक्ति कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मेरे उद्देश्य से दीपदान करेगा, उसकी असामयिक मृत्यु नहीं होगी।

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