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वर्तमान

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अपने वर्तमान से
कभी कोई खुश नहीं होता
याद करता है सदा
गुज़रा ज़माना ।
भूल जाता है
जब वह वर्तमान था
तो भी वह दुखी था ।
जो प्राप्य है
उसे कभी पर्याप्त नहीं लगता
और—-और—–और
चाहिये कुछ और ।
भविष्य के सपने बुनता है सदा
यही दुख का कारण है
कल कभी आता नहीं ।
जो है आज है
कल यही गुज़रा ज़माना हो जायेगा।
फिर हम इसका
गुणगान करेंगै ।
भूत और भविष्य की चिन्ता छोड़
अगर जी लें हम आज में
तो सुखी हो जायें
जीवन में ।

शशि पाठक

मैं शशि पाठक एक गृहणी हूं ।कविता कहानी लेख लिखने का शौक रखती हूं ।अभी हाल ही अनुकूल परिस्थियां पा कर विशेष सक्रिय हुई हूं ।

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