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नहीं शब्द तेरे बखान को

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बाल रूप सौंदर्य निराला तेरा
मोर पंख सिर पर ,कान में कुंडल
कमर में बांसुरी ,पांव में पायल
ठुमक ठुमक कर चले कन्हैया
नहीं शब्द तेरे बखान को।
सबका मन मोहे छलिया रूप तेरा
गोकुल की गलियों में तेरा वास
गैया मां के तुम रक्षक हो
ग्वालो के तुम सच्चे सखा
नहीं शब्द तेरे बखान को।
मन मोहे तेरा रूप निराला
गोपिया संग रास रचाए
जसोदा मैया के तुम लाल
रुकमणी के स्वामी राधा की प्रीत
नहीं शब्द तेरे बखान को।
तेरी गागर में सागर प्रेम का
सुदामा के साथी, मित्रता की मिसाल
दही हांडी प्रिय तुम्हारी
माखनचोर, रणछोड़ तुम
नहीं शब्द तेरे बखान को।
ब्रज की धरती पावन हुई
तेरे चरणों की रज पाकर
कंस का नाश , मथुरा का कल्याण
द्वारिकाधीश तेरी लीला निराली
नहीं है शब्द तेरे बखान को।

डॉक्टर दीपिका राव बांसवाड़ा राजस्थान

कृष्ण जन्माष्टमी की सभी को शुभकामनाएं

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