Home साहित्य आगे बढो

आगे बढो

0

आओ चलें वक्त के कारवां के साथ, अब न शिकवा और शिकायत करो
मन के भावों को हर रोज उत्साहित करो।
उमंग भरो,संकल्प करो,प्रभु आशीष लेकर आगे बढो,जिन्दगी की राहों को अब स्वीकार करो।
तेरा मेरा छोड़कर नयी सुबह का आगाज करो।सुरक्षित रहकर हर कार्य करो,उदासी से जीवन के खुशनुबाब पलों को न बर्बाद करो।
कुछ खोकर कुछ पाकर अब ऐसे ही आगे बढ़ना होगा।इन्ही परिस्थितियों में एक नया मुकाम रचना होगा ।
देश, परिवार, की उन्नति खुशहाली के लिए
हमें अब आगे बढ़ना होगा


डॉ मनीषा दुबे
73 गुरु नानक पुरा ,राजा पार्क जयपुर-302004

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version