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स्वप्न

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कोयल की बोली से मैने,
मीठी तान चुरा ली।
मोरपंख की लेखिनी,
मेघों से स्याह मंगा ली।

क्या सोचूँ ,क्या लिख के डालूँ,
आज बना मन छलिया।
कमल नयन सखी देख मनोहर,
खिल गई मन की कलियाँ।

राधा नागर मुरली धुन पर,
नाचें है सब सखियाँ।
डोल हिंडोला झूले अमुबा,
झोंटा दे रंग रसिया।

इस स्वप्न सरीखे प्रेम भाव में,
शब्द लगें विष प्याली।
कहे सलोनी खो मत देना,
प्रिय श्याम छवि मतवाली।।


स्वरचित: सलोनी क्षितिज रस्तोगी
जयपुर (राजस्थान)
9352106161

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