धान पान सी
नार नवेली
चली अकेली
पनिया भरन को
या
मिलने सजन को
सूनी डगरिया
भरी गगरिया
चला न जाये
बरसे मेघा
पांव में कांटा
चुभ चुभ जाये
भीगी चुनरिया
बरसी बदरिया
पिया न आये
- शशि पाठक
धान पान सी
नार नवेली
चली अकेली
पनिया भरन को
या
मिलने सजन को
सूनी डगरिया
भरी गगरिया
चला न जाये
बरसे मेघा
पांव में कांटा
चुभ चुभ जाये
भीगी चुनरिया
बरसी बदरिया
पिया न आये