एक सेल्फी ले लो यार
सेल्फी अर्थात् “खुद-
खेचूँ” भी बड़ी ही अद्भुत वस्तु है दोस्तों आज के युग में। चीज या रसगुल्ला किसी को भी याद करके मुंह बनाइए। बस
सेल्फी तैयार। कहाँ देर लगी ? फिजूल ही बेचारी सेल्फी की चुगलियों का पिटारा लेकर घूमते हैं कुछ लोग।
सेल्फी ‘मेरा, मेरे द्वारा , मेरे लिए खींचा गया चित्र है’| पहले यह असंभव था | अब तो बस मोबाइल पकड़िए उसमें अपनी शक्ल देखिए और बस, क्लिक कर दीजिए ! हो गया।
सेल्फी का साम्राज्य सर्वत्र फैला हुआ है। चहुंओर निगाहें डालिए तो आस-पास ही विचित्र भाव-भंगिमा वाले सैकड़ों प्रेमी गुणीजन स्वतः दृष्टिगोचर हो जाते हैं।सेल्फी की सियासत हर जगह अपनी धाक जमाए है।
ये तो मानना पड़ेगा कि सेल्फ़ी में कैद मानव शरीर भले ही नश्वर हो परंतु सेल्फी शाश्वत है। इसे शाश्वत बनाने में स्मार्ट फोन निर्माताओं ने महती भूमिका निभाई है।
आलम ये है कि लोग श्वास की रफ्तार से दनादन कई सेल्फी खींच रहे हैं और कुछ तो श्वास से भी तीव्रता से सेल्फी खींच रहे हैं। कठिन परिश्रम के पश्चात् यदि सौभाग्य से एकाध सेल्फी संतोषजनक निकल आती है तो उस दुर्लभ सेल्फी को ऐसे संभाला जाता है जैसे वह सेल्फी न हो कर महाराणा प्रताप की तलवार हो। प्रेमी/प्रेमिका के साथ सेल्फी को तो ऐसे छुपा कर रखते हैं जैसे सेल्फी न हो स्विस बैंक में जमा काला धन।
धूम मचा दी है सेल्फी ने इन दिनों | जिसे देखो सेल्फी के लिए उतावला है | हाथ में मोबाइल लिए घूम रहा है | कोई बिलकुल अलग-सी (यूनिक) जगह होना चाहिए | पेड़ की ऊंची से ऊंची शाख पर से, नदी की तेज़ धार में खड़े होकर, रेल के पहियों के सा
थ दौड़ते हुए… ऐसी ही कोई खतरनाक जगह हो जहां हमें सराहना मिल सके | हमारी वाह वाह हो! अपनी इस कारगुजारी में जान भी चली जाए तो क्या फर्क पड़ता है | नाम तो कर जाएंगे।
कुछ हताश नौजवान इसे आजमा रहे हैं ।आत्महत्या करके कायर की उपाधि पाने से तो अच्छा है कि किसी ऊंचे स्थान के बिल्कुल छोर पर पहुँचो और अपने सेलफ़ोन को सेल्फी मोड पर डाल कर में हाथ ऊँचा करो और संतुलन बिगड़ जाने का दिखावा करते हुए ऊंची पहाड़ी से फेंक दो खुद को। कर दो समर्पित अपना तन। |अगले दिन समाचारों की सुर्खियाँ में अंतिम बेचारे की “खुदखेंचूँ” आ ही जाएगी । चलिए एक और सेल्फी का अंतिम अरमान भी पूरा हुआ। आत्मा को शान्ति तो मिलेगी।
एक सत्संग में जाने का सौभाग्य मिला। प्रवचन चल रहे थे।
महाराज बोले – ” कल जब आप इस सभा में शामिल हों तो आत्म चिंतन की सेल्फी लेकर आयें …..”
सब सेल्फी सुन कर अपने-अपने मोबाइल की ओर देखने लगे।
महाराज ने कहा – “बंधुओं ! मेरा आशय एंड्राइड या स्मार्ट फोन से लिए जाने वाले सेल्फी से नहीं है। मोबाइल और तिस पर “सेल्फी “ऐसा विष है जो शनैः-शनैः सम्पूर्ण मानवता पर अपनी कलुषित छाया डाल रहा है। इससे दूर रहें।”
“आत्म चिंतन की सेल्फी का अर्थ है आत्मा से स्व चिन्तन साक्षात्कार। ”
सत्संग पूर्ण !
जाते – जाते लोगों ने देखा….
पंडाल के पीछे महाराज जी एकांत में इत्मिनान से सेल्फी ले रहे हैं ..कई भक्तों को वहीं दिल का दौरा पड़ गया।
इतना ही नहीं, आंकड़ों के अनुसार नेताओं के बड़े – बड़े अभियानों में देशवासियों से ज्यादा उनकी सेल्फियों ने योगदान किया है। अगर कोई नेता जी भुजाओं में झाड़ू उठाये, भारत को स्वच्छ बनाने की भीष्म प्रतिज्ञा के सदृश मुद्रा बनाये अपनी सेल्फी न ले तो उसका यह ” स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का “भगीरथ प्रयास सफल होता प्रतीत नहीं होता।
जैसा सदैव से होता आया है कि जब भी कोई चीज लोकप्रिय हो जाए तो गगन से उसके असंख्य आलोचक भी आ टपकते हैं और उसके विपरीत राग बजाना प्रारंभ कर देते हैं। बेचारी सेल्फ़ी के साथ भी यही हुआ है। सेल्फी लेने वाले लोगों को मनोरोगी बताया जाने लगा । मित्रों! मुझे तो ये एंटी सेल्फी समाज का षड्यंत्र प्रतीत होता है।
अतः कृपया सेल्फी प्रेमियों इनके इस झांसे में ना आएं और जनसंख्यावृद्धि की तरह सेल्फी-संख्या में भी सतत् वृद्धि करें।
डिनर की टेबल पर मम्मी जी अपनी मुख शोभा को सेल्फी के ज़रिए कैमरे में कैद कर लेने को व्याकुल हैं चाहे भोजन ठंडा हो रहा हो। सेल्फी नशा है सर चढ़ कर बोले बिना न रहता कभी।
अमरीका में ओहियो स्टेट युनिवर्सिटी के एक अध्ययन के अनुसार सेल्फी लेने वाले व्यक्ति आत्ममुग्ध और साइकोपाथ या मनोरोगी होते हैं। यह तो सेल्फी प्रेमियों के ऊपर गाज गिरने के समान बात हुई !!
हम सेल्फी प्रेमियों को एक मीटिंग में यह गाना भी सुनाया गया…….
“दिल को देखो, चेहरा न देखो,
चेहरे ने लाखों को लूटा”
हमने भी उनको सुना दिया……..
“मेरी प्यारी-प्यारी सू
रत को
किसी की नजर न लगे
खुद ही देखूँ !”
हम तो बस इतना जानते हैं कि ये स्मार्ट फोन हमें स्मार्ट बना रहा है और सेल्फी ने निखारा है हमें । साथ ही अपनी प्यारी-सी सूरत से प्यार करना सिखाया है। तो सेल्फी से………
“ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे”
तो इसी बात पर एक सेल्फी और ले लो न यार…..
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )