राधा बनके बसूं ,तेरे मन में पिया
प्रेम नगरी में पावन-सा घर है मेरा।
प्रीत की डोर से, यूं बँधे आईये
कच्चे धागों-सा नाज़ुक, दिल है मेरा
राधा बनके…….
मेरी आँखों में जो तेरी मूरत बसी
पास मंदिर में जाने से क्या फायदा।
तेरी मुरली की धुन में बसी प्राण सी
मीठी तानें सुनाने से क्या फायदा।
तू तो सूरज सा चमके गगन में सदा
रोशनी मैं बनूँ दमके तन ये मेरा।
राधा बनके……
मेरे मोहन हो तुम मेरे मनमीत हो
श्याम सुंदर सलोने मधुर गीत हो।
चाँदनी बन सजूँ चाँद के साथ में
रासलीला रचूं श्याम के साथ में।
बनके दीपक की लौ जगमगाते हो तुम
मैं तो बाती बनूँ साथ जलती रहूँ।
राधा बनके…….
सलोनी क्षितिज रस्तोगी
जयपुर ( राजस्थान)