नाटक ‘‘पंखुड़ी’’ का मंचन किया गया
जयपुर, कलावत कलामंच संस्था, राजस्थान कला संस्कृति विभाग एवं राजस्थान संगीत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में अमृत महोत्सव पर जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में कलावत के.एल. द्वारा रचित नवीन देशभक्ति गीत….. ओ रे बन्दे इस तिरंगे, सदा सत्य सुनना, देख लो रे देख लो, बहुत सुन्दर वतन की भूमि, क्यंू टपके, क्यंू टपके, देखो भारत मुस्कुराया गीतों का लाइव प्रदर्शन किया गया। साथ ही कलावत के.एल. द्वारा लिखित एवं वरिष्ठ निर्देशक मोहन सैनी द्वारा निर्देशित राजस्थानी नाटक ‘‘पंखुड़ी’’ का मंचन किया गया जिसमंें राष्ट्रीय पक्षी मोर बचाओ पर प्रकाश डाला गया, इसी नाटक के माध्यम से बीमारियों, सफाई एवं बालिका रक्षा पर भी प्रकाश डाला गया। यह नाटक एक वर्कशॉप में तैयार कर प्रस्तुत किया गया। नाटक की कहानी इस प्रकार है दो दोस्त कालू रामू मोरनी का डांस देखने की योजना बनाते है। तीसरे दोस्त भीमा को पता चलता है पर दोनों तीसरे दोस्त को नहीं ले जाते है। भोमा नाराज होता है। बारिश बन्द होने पर दोंनों दोस्त जाने के लिये तैयार होते है। रास्ते में दोनों के दादा रामचरण और घनश्याम का हिस्सा सुनाते है। किस्सा पूरा होने के बाद रास्ते में पटेल और मजदूरनी झगडते हुये मिलते है जिसे दोनों छेड़ना शुरू करते है, वहॉं रामू की छोटी बहन रक्षा आती है और तीनों वसूली कर आगे चलते है तभी दोनों के सिर पर लाठी पड़ती है। रक्षा नीचे गिर जाती है और तीनों को कुछ भी पता नहीं चलता है। रामू कालू घर पर आने के बाद रक्षा बदमाश का नाम बताती है, रामू बदला लेने उठता है। तभी बाहर रामू की दादी पोली और कालू की दादी धौली सफाई के लिये झगड़ते है। पण्डित जी आकर कुछ समझाईश करते है कि सफाई करनी चाहिये। यहीं रामू को पता चलता है कि शाम को सत्संग है और सभी आनन्द लेते है। सत्संग में सरपंच आता है और सत्संग बन्द करा देता है कि रक्षा का अपहरण हो गया। रामू कालू के साथ पूरा गांव ही रक्षा को ढंूढते है। रामू को लगता है कि भीमा ने ही उसकी रक्षा का अपहरण किया है। पण्डित ढंढते हुये मजदूरनी के घर आता है जहॉं पटेल मजदूरनी के संग मिलता है। सरंपच पंचायत बिठाता है और थानेदार आता है। सबसे पूछताछ करता है परन्तु पता नहीं चलता है। तभी छुटकी आती है, छुटकी को देखकर पटेल भागता है पटेल के पीछे भोमा। रक्षा पटेल की करतूत पंचायत में बताती है कि उसके साथ गलत करना चाहा। रक्षा सभी को वहॉं लेकर जाती है और वह स्थान दिखाती है जहॉं उसे छुपाकर रखा था और वहीं पर पटेल मोर मोरनियों को भी मारता था। भोमा पटेल को पीछा कर पकड़ लेता है और मारना चाहता है थानेदार रोक देता है। पटेल थानेदार को सब सच बताकर पूरी कहानी बयां करता है। रामू भोमा से माफी मांगता है। तीनों दोस्त फिर से मिल जाते है। नाटक में इन कलाकारों ने अभिनय किया।
पात्रों में तरूण सुनारीवाल, रोहित गहलोत, मयंक, यश, दिशांत साहू, अनन्या, तान्या, दीक्षा, सौम्या, वैभव, हिमांशु, राहुल, केशव, मोहित मित्रा, पायल कश्यप, हुलसिता, प्राची पेदार, खुशबू सिंह, पूजा शेखावत। प्रकाश व्यवस्था नरेन्द्र अरोड़ा, मेकअप असलम पठान ने किया। देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति में झिलमिल गोस्वामी, अविका पाराशर, प्रियांशी शर्मा, तानिया सैनी, दीक्षा अग्रवाल, गरिमा टिंकर, अनुभा सोनी।