पृथ्वी की भ्रमण कक्षामे उतरायन की तरह दक्षिणायन दिन का भी महत्व है । सूर्य नारायण का दक्षिण प्रयाण याने कि 21 जून, जो वर्ष में सबसे ज्यादा लंबा दिन होता है । 2014 में विश्व के सभी देशों ने जनरल एसेंबली मे भारत के प्रस्ताव को मान्य रखकर यह दिन को “विश्व योग दिन “के रूप में मान्य किया गया है। सतत पांचवे साल में पूरा विश्व और खास करके सूर्य की पूजा करने वाले देश इस दिन संस्कृति के साथ जोड़कर योग दिन मनाते हैं । सूर्योदय की साक्षी मानकर योग मुद्रा के साथ सूर्य नमस्कार करते है ।
विश्व के 170 देशों में योग दिन मनाया जाता है, उसका मतलब यह है कि योग को जीवन में स्थान देने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य मजबूत बनता है । योग के कारण लोग प्रकृति की ओर ज्यादा जाते हैं । योगासन से स्वस्थ मन और स्वस्थ शरीर रहता है। वर्ष 2016 के एक अभ्यास के अनुसार तीन करोड़ दस लाख अमेरिकन लोग योग करते हैं । वहा डॉक्टर्स नेचरल हीलिंग के लिए सलाह देते हैं, डिप्रेशन के लिए सायकॉलोजिसट रेग्युलर योग का सुचन करते हैं, 1975 से द अमेरिकन योग फ़ाउंडेशन के द्वारा प्रति वर्ष योग का आयोजन किया जाता है और योग जर्नल भी प्रकाशित करते हैं ।
भारत में पांच हजार साल पहले भी योग की पेकेटिस चलती थी। पतंजलि योग सूत्र ग्रंथ योग के लिए मूलभूत ग्रंथ के रूप में माना जाता है जिसमें अष्टांग योग प्रचलित है । नियमित रूप से आठ योग का पालन करने से अच्छी सफलता प्राप्त होती है।
इन आठो योग में प्रथम :यम मतलब सामाजिक व्यवहार के सिद्धांतो का पालन ।
दूसरा : नियम, मतलब व्यक्तिगत वर्तन के नियमों का पालन ।
तीसरा : आसन यानी शारीरिक चपलता और फ़िटनेस के लिए अलग अलग कसरत करते हैं जिसे व्यक्ति का कोर बेलेंस बढ़ता है । आज कल यही आसन का योग का सबसे ज्यादा उपयोग होता है ।
चौथा : प्रत्याहार, मतलब मन और इंद्रियों पर नियंत्रण और नीयमन करने में सहयोगी हैं ।
पांचवा : धारणा मतलब को कोङस्ट्रेसन ध्यान केंद्रित कर ने की क्षमता वृद्धि अर्थात मेडिटेशन ।
अंतिम अंग है समाधि : यानी अंतिम तत्व के साथ पूर्ण आध्यात्मिक समर्पण करना ।
चिट का शांत रहना जरूरी है । योग से बुद्धि तेज बनती है । शरीर और मन का संतुलन बना रहते हैं । प्राणायाम से ऑक्सिजन इनटेक बढ़ता है । शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है, वैसे तो योग के बहुत प्रकार हे लेकिन कर्म योग की दृष्टि से देखे तो नियम से किया जाने वाला श्रेष्ठ योग है ।