तिल
काले और लाल दो प्रकार के तिल मनुष्यों के शरीर में देखे जाते हैं। लाल तिलों का होना बहुत ही शुभ और भाग्यवान होने का चिह्न समझा जाता है परंतु काले में यह बात नहीं है। काले तिल स्थान भेद से शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के हो सकते हैं।
यह भी देखा जाता है कि तिल जोड़ा से होता है। इनकी संख्या ऐसी होती है कि जिसे दो से विभाजित किया जा सके। एक स्थान पर तिल होगा, तो उसके जोड़ का दूसरा तिल भी किसी अंग पर जरूर दीख पड़ेगा। बहुत करके तो जोड़े का स्थान नियम भी होता है। जैसे एक तिल माथे पर दाहिनी ओर हो, तो उसका जोड़ा पेट या बाहु पर होगा। यह दांपत्य-जीवन के आनंदमय होने का लक्षण है। माथे पर बाँई ओर हो तो भी पेट या भुजा पर तिल होगा, यह दांपत्य-जीवन में मनोमालिन्य का कारण होता है। जिनकी बाँई भौं पर तिल होगा उनकी छाती पर भी बाँई ओर जोड़ा हो जाएगा-ऐसे आदमियों को यात्राएँ बहुत करनी पड़ती हैं। दोनों भौं के बीच में तिल हो, तो बीच पेट में उसका जोड़ा मिलेगा, ऐसे आदमी बकवादी और घमंडी देखे जाते हैं। नाक के तिल को जोड़ा नाभि के निकट है, यह प्रेम खुशमिजाजी तथा यार बाश होने का द्योतक है।
कनपटी के तिल का जवाब कुच पर मिलता है। यह दाहिनी ओर होना शुभ और बाँई ओर होना अशुभ माना जाता है। कान की जड़ के आस-पास के तिल को जोड़ा पेट पर होता है-यह जिगर और आंतों के खराबी प्रकट करता है। नाक की नौंक का जोड़ा गुदा पर होगा-यह अल्पायु होने की निशानी है। गाल का जोड़ा कूल्हे पर मिलता है। यह दाएँ और बाएँ दोनों तरफ शुभ है। यह कंजूसी का साइनबोर्ड समझा जा सकता है। नीचे के होठ पर जो तिल होता है, उसका जवाब घुटने पर होगा-ऐसे आदमियों को विवाह शादी के मामले बहुत दिलचस्प होती है।
तर्जनी उँगली का तिल धनवान होने, अधिक शत्रु हाने, झगड़ा-फसाद रहने का कारण होता है। मध्यमा का तिल सुख-शांति का देने वाला है; जिनकी अनामिका में होगा, वे यशस्वी, पराक्रमी धनवान और ज्ञानवान मिलेंगे। कनिष्ठका का तिल इस बात का प्रमाण है कि धन-संपत्ति होते भी वह व्यक्ति सुखी न रह सकेगा। अँगूठे का तिल कार्यकुशलता और लोक-व्यवहार में प्रवीणता प्रकट करता है।
दाहिनी आँख में तिल होना बुद्धि की प्रखरता का चिह्न है। यह जितनी ही अधिक संख्या में हो उतने ही अच्छे हैं। बाँईं आँख में तिल होना यह बताता है कि इस आदमी को अपना जीवन बड़े संघर्ष और कठिनाइयों के साथ व्यतीत करना पड़ेगा, वस्तुओं की कमी इसे न रहेगी, पर आराम की जिंदगी भी न काट सकेगा।
गर्दन का तिल श्रद्धालु, ईश्वर भक्त और विनयी व्यक्तियों के होता है। ठुड्ढी का तिल कमजोरी-कायरता और जनानेपन का निशान है। पैरों के तिल मनुष्य को एक जगह बैठने नहीं देते, उसे यहाँ से वहाँ और वहाँ से यहाँ भागना पड़ता है।
स्त्रियों की नाक पर तिल होना उनके सौभाग्य का चिह्न है। ऐसी स्त्रियाँ पति की ओर से असंतुष्ट नहीं रहती, जिनके बाँए तरफ तिल ज्यादा हों, तो संतानों में पुत्र अधिक होते हैं, दाहिनी ओर तिल होने कन्याओं की संख्या अधिक रहती है। गाल पर तिल होने से स्त्री की भावुकता और प्रणय-सुख की अभिलाषा विशेष मात्रा में पाई जाती है।
भुजाओं पर तिल वाले बहादुर, पेट पर तिल वाले चटोरे व छाती पर तिल वाले पराक्रमी, पीठ पर तिल वाले परिश्रमी, उन्नतिशील और चूतड़ पर तिलवाले उत्साहहीन, पराया आसरा तकने वाले होते हें। गुप्त स्थानों के तिल कामुकता की मात्र अधिक होना प्रकट करते हैं। बारह से कम संख्या में तिल होना शुभ है, इससे अधिक हों तो शारीरिक और मानसिक अवस्था के लक्षण समझने चाहिए। आमतौर से दाहिनी ओर के तिल बाँई ओर की अपेक्षा शुभ और लाभदायक होते हैं।